Friday, 26 October 2018

भक्ति से पहले जाने इस सच्चाई को

🌎अजीब बात है की परमात्मा  प्राप्ति, दुखो से छुटकारा, एवं मनोकामना पूर्ति मे लाखो लोग अपना पैसा, समय, और श्रद्धा व्यर्थ ही गवा बैठते है ..सर्व मनोकामना पुर्ति के मंत्र पाने के लिए साधु संतो के चक्कर काटते रहते है।🌍

🌏कभी तो बार-बार मंत्र बदलते रहने मे ही मनुष्य जीवन समाप्त हो जाता है | अज्ञानियो ने “ओम नम:शिवाय” मंत्र को अविनाशी, अनुपम, शक्तशाली बताकर जन-मानष के भक्ति मार्ग मे एक अवरोध खड़ा कर दिया | गायंत्री मंत्र को भी अतुल्य, अपार, और अनन्त बताकर भक्तगणो को पुर्ण मोक्ष प्राप्ति से वंचित कर दिया | कथाकार, पंडित, और अल्पज्ञ साधु संतो को वेद शास्त्रो का वास्तविक ग्यान न होने से “ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:” मंत्र को ही अद्वितीय, ऐश्वर्यशाली, और सिद्ध मंत्र बताकर मानव को शास्त्रअनुकुल साधना से दूर कर दिया |🌍

🌎जब #समाज पर ऋषि-मुनियो की अल्पज्ञता की गहरी छाप चढ़ी तो जन-जन ने “महाम्रत्युंजय मंत्र” को ही दिर्घायु, शाश्वत, सर्वश्रेष्ठ रक्षामंत्र मान लिया तथा वास्तविक मोक्षदायक मंत्रो से रुबरु ना हो सके | किसी ने तो श्री #गणेश जी के मंत्र को #रिद्धि_सिद्धि प्राप्ति मंत्र, और श्री #दुर्गा जी के निर्वाण मंत्र को सर्वोच्च और जन्म मरण से छुटकारे का उपाय बताकर वास्तविक सतमंत्रो से हमे अपरिचित ही रखा | कुछ नकली गुरुओ ने पांच नाम जाप के दे दिए वो भी “काल” के…| और भी अनेको मंत्र है जिनके पल्ले बंधा है मनुष्य..|  कुछ तो “#राम_राम” कहकर संतुष्ट रहते और कुछ “#जयश्रीकृष्ण” जापकर “#राधे_राधे” की रट लगाते हुए स्वयं को भक्तिमार्ग मे सफल मान बैठे |🌍

🌏जब मंत्रो से भी बात ना बनी तो #तंत्र, यंत्र, का सहारा लेकर भी अपने पूरे जीवनकाल मे सुख-समृध्दी और पूर्ण मोक्ष के लिए हर तरह से हाथ पांव मारे,  लेकिन पूर्ण संत नही मिलने से जैसा भी उपाय हत्थे चढ़ा वैसा कर लिया | कभी अपने विवेक से कोई सदग्रंथ खोलकर देखना चाहा की जीवन मे सुख एवं पुर्ण #मोक्ष प्राप्ति का वह कौन सा सतमंत्र है, जो वास्तव मे हमारे सर्व सदग्रंथो मे प्रमाणित है | जब की उपरोक्त सभी देवताओ के मंत्र किसी भी सदग्रंथ मे प्रमाणित नही है |🌍

🌎विडम्बना है की जीविका उपार्जन, समय और शिक्षा के अभाव मे मनुष्य कभी सदग्रंथो को ना पढ़ सका और ना ही सच का पता लगा सका तो इसी का फायदा उठाकर सर्व #ऋषि-मुनि #संत महंत, #शंकराचार्य , मठाधीश , पीठाधीश और अध्यात्म के ठेकेदारो ने जनता को मूर्ख बनाया | ग्रंथो की सच्चाई से यह नकली, अज्ञानी खुद भी वंचित ही रहे, लेकिन अब संत रामपाल जी महाराज  ने वास्तविक मंत्रो के रहस्य को उजागर करके समाज की बदहाली को खुशहाली मे बदल दिया है |🌍

🌏गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 मे बताया है की  “ओम, तत्, सत”  इन्ही तीन मंत्रो से आप सर्व सुख और पुर्ण मुक्ति प्राप्त कर सकते है, और इतना ही नही बल्कि यह तीन मंत्र भी सांकेतिक है, जो पूर्ण संत से ही प्राप्त हो सकते है | उस #पूर्ण_संत की पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 मे बताई है, जो #संतरामपालजी महाराज  है और यही सच्चे #मंत्र जन-जन तक बल्कि घर-घर तक पहुँचाने का अथक प्रयास कर रहे है |
#सत_भक्ति_प्रचार

Tuesday, 23 October 2018

अवश्य जानिए !

ब्रह्मा-विष्णु-महेश एवं दुर्गा जी और 33 करोड़ देवी देवता मिल कर भी मौत नहीं रोक पा रहे !!क्या कारण है क्या ये मौत रोकने में समर्थ नहीं तो कौन सी शक्तियां इनसे ऊपर है या ये मौत रोकना ही नहीं चाहते ?
ब्रह्मा-विष्णु-महेश भी अजर-अमर नहीं!!👉पेज-123 श्रीमद्देवीभागवत पुराण,गीताप्रेस गोरखपुर।
जानिए श्री गुरु नानक देव जी के 03 दिनों तक बेई नदी में गायब होने का राज!
जानिए कबीर साहेब के शरीर गायब हो जाने का राज!
गुरु नानक देवी जी ने ये क्यों कहा पेज 721 गुरु ग्रन्थ साहिब-"हक्का कबीर करीम तू बेऐब परवरदिगार" !!
क़ुरआन-शरीफ़ के सूरत फुर्कानि 25 आयत 52 पे लिखा है : फला तुतिअल काफिरन व् जाहिदहुम् विहि जिहादन कबीरा !
 ऐसे अनेकों रहस्यों और अनसुलझे सवालों के जवाब जानने के लिए कृपया रोज देंखें :-
साधना टीवी-रोज शाम 07:30 से 08:30

Monday, 22 October 2018

कौन है पूर्ण परमात्मा


आज हम अपनी इस पोस्ट में आप जी को दिखाकर सच्चाई से रूबरू कराना चाहते हैं
#पवित्र_गीता_जी_में_भगवान_कृष्ण_जी_अर्जुन_को_किस_की_शरण_मे_जाने_का_आदेश_दे_रहे_है???

हम जब गीता जी पढते है उसमें जगह जगह बहुत से उतार चढ़ाव आते है । कही पर हम यह देखते है की गीता ज्ञान दाता से बडा कोई नही तो कही पर हम यह देखते है की गीता ज्ञान दाता किसी दूसरे प्रभू की शरण में है।
आईये आज हम सच्चाई को सबको लाने की कोशिश करते है इसे जरूर पढे ध्यान से
पवित्र गीता जी ज्ञान दाता जहाँ अपनी महिमा का गुणगान करता है वह अपनी शक्ति का पर्दशन करता है जैसे एक मुख्यमंत्री अपने स्तर का और अपने राज्य क्षेत्र का बहुत विस्तार से वर्णन करता है।
लेकिन जहाँ पर गीता ज्ञान दाता अपने को किसी दूसरे परमात्मा की शरण में बताता है तो स्थिति ऐसी होती है जैसे एक मुख्यमंत्री जी अब महामहिम राष्ट्रपति जी की शक्ति का वर्णन कर रहे हो।
आओ देखते है कुछ श्लोक जिनमे गीता ज्ञान दाता ने खुद की किसी दूसरे परमात्मा की शरण में बताया है अथवा किसी परम शक्ति का वर्णन किया है 👇👇
अ•2 श्लोक 17
अ•8 श्लोक 3
अ•8 श्लोक 9
अ•8 श्लोक 22
अ• 15 श्लोक 4
अ• 15 श्लोक 17
अ• 17 श्लोक 23
अ• 18 श्लोक 46
अ• 18 श्लोक 62
अ• 18 श्लोक 66
हम सभी के घर  मे पवित्र श्री मद् भगवत गीता है हम यह प्रमाण देख सकते है
#कौन_है_वह_परमेश्वर_जिसकी_शरण_में_जाने_को_गीता_ज्ञान_दाता_ने_इसारा_किया_है?
हमारा उद्देश्य भगत समाज को सही भक्ति विधि के बारे में बताना है शास्त्रानुकूल भक्ति के बारे में अवगत कराना है क्योकि सिर्फ मोक्ष शास्त्रानुकूल भक्ति से ही सम्भव है और वह भक्ति हमारे सद्ग्रंथो मे वर्णित है आवश्यकता है बस उसके ध्यान से पढने और समझने की।
मोक्ष सिर्फ शास्त्रानुकूल भक्ति से ही सम्भव है और अगर भक्ति शास्त्रानुकूल नही है तो मोक्ष बहुत दूर की बात हो जाती है फिर
आओ एक दो श्लोक का विश्लेषण करते है
हमारे गीताज्ञान वाचन ,मण्डलेश्वर कहते है भगवान श्री कृष्ण से अतिरिक्त कोई भगवान ही नहीं। कृष्ण जी ही स्वयं पूर्ण परमात्मा हैं, वे अपनी ही शरण आने के लिए कह रहे हैं, बस कहने का फेर है। कृप्या भ्रम निवारण करें।

उत्तर:- ये माला डाल हुए हैं मुक्ता। षटदल उवा-बाई बकता।

आपके सर्व मण्डलेश्वर अर्थात् तथा शंकराचार्य अट-बट करके भोली जनता को भ्रमित कर रहे हैं। गीता ज्ञान दाता गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में अर्जुन को अपनी शरण में आने को कहता है, यह बिल्कुल गलत है क्योंकि गीता अध्याय 2 श्लोक 7 में अर्जुन ने कहा कि ‘हे कृष्ण! अब मेरी बुद्धि ठीक से काम नहीं कर रही है। मैं आप का शिष्य हूँ, आपकी शरण में हूँ। जो मेरे हित में हो, वह ज्ञान मुझे दीजिए। हे धर्मदास! अर्जुन तो पहले ही श्री कृष्ण की शरण में था। इसलिए गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता ज्ञान दाता ने अपने से अन्य ‘परम अक्षर ब्रह्म’ की शरण में जाने के लिए कहा है। गीता अध्याय 4 श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि हे अर्जुन तू मेरा भक्त है। इसलिए यह गीता शास्त्रा सुनाया है।

गीता ज्ञान दाता से अन्य पूर्ण परमात्मा का अन्य प्रमाण गीता अध्याय 13 श्लोक 11 से 28, 30, 31, 34 में भी है। श्री मद्भगवत गीता अध्याय 13 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि शरीर को क्षेत्रा कहते हैैं जो इस क्षेत्रा अर्थात् शरीर को जानता है, उसे “क्षेत्राज्ञ” कहा जाता है। (गीता अध्याय 13 श्लोक 1)

गीता अध्याय 13 श्लोक 2 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि:- मैं क्षेत्राज्ञ हूँ। क्षेत्रा तथा क्षेत्राज्ञ दोनों को जानना ही तत्वज्ञान कहा जाता है, ऐसा मेरा मत है। गीता अध्याय 13 श्लोक 10 में कहा है कि मेरी भक्ति अव्याभिचारिणी होनी चाहिए। जैसे अन्य देवताओं की साधना तो गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 में व्यर्थ कही हैं। केवल ब्रह्म की भक्ति करें। उसके विषय में यहाँ कहा है कि अन्य देवता में आसक्त न हों। भावार्थ है कि भक्ति व मुक्ति के लिए ज्ञान समझें, वक्ता बनने के लिए नहीं। इसके अतिरिक्त वक्ता बनने के लिए ज्ञान सुनना अज्ञान है।

गीता अध्याय 13 श्लोक 12 में गीता ज्ञान दाता ने अपने से “परम ब्रह्म” का ज्ञान कराया है, जो परमात्मा (ज्ञेयम्) जानने योग्य है, जिसको जानकर (अमृतम् अश्नुते) अमरत्व प्राप्त होता है अर्थात् पूर्ण मोक्ष का अमृत जैसा आनन्द भोगने को मिलता है। उसको भली-भाँति कहूँगा। (तत्) वह दूसरा (ब्रह्म) परमात्मा न तो सत् कहा जाता है अर्थात् गीता ज्ञान दाता ने अध्याय 4 श्लोक 32, 34 में कहा है कि जो तत्वज्ञान है, उसमें परमात्मा का पूर्ण ज्ञान है, वह तत्वज्ञान परमात्मा अपने मुख कमल से स्वयं उच्चारण करके बोलता है। उस तत्वज्ञान को तत्वदर्शी सन्त जानते हैं ।।